मैथिली गजल
[{गजल}]
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माँगि रहल छी सौंसे दुनिया, गामे टोल सुधारि दियौ ने
बूझल जगमग करबै जग केंँ, डीही दीया बारि दियौ ने
गाम-समाजक बात बहुत छै, कत्ते कहबै कत्ते सुनबै
अपनहिं घर केँ स्वर्ग बनाके, भगवा झंडा गाड़ि दियौ ने
भाषण काल फुराइ बहुत छै, कथनी करनी में बड अंतर
मंचक नीचाँ आबि कने निज, जीवन में ऊतारि दियौ ने
हम्मर बाजब तिख्खे लागत,सत्यक धाह सहब की संभव
अप्पन तामस शांत करब तेंँ, हमरे घर ऊजारि दियौ ने
देश हमर छल मिथिला शोभित,राज्यक लेल किए बेलल्ला
सुनगय दीयौ सभके हृद मे एक्कहि संग पजारि दियौ ने
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✍️ विजय इस्सर "वत्स"
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