हिंदी ग़ज़ल (अपने मन को शांति का सौगात दिया करो)
अपने मन को शांति का सौगात दिया करो
अपने से भी आप थोड़ी बात किया करो
अंधेरी रातें यहां की घोर डरावनी
चलते हो तो एक साथी साथ लिया करो
वो जो तेरी बात सुनकर लोग चले गए
बिन बोले कह जो गए जज़्बात पिया करो
आना जाना जिंदगी का खेल बहुत हुआ
इस खेले के राज़ को ना कात किया करो
आते हो हर रोज यूँ मिलके व चले गए
फुर्सत में आ साथ मिलकर रात किया करो
बातें जाके बेझिझक कह वत्स डरो नहीं
इश्क ख़ुदा का नूर तुँ मुलाकात किया करो
--विजय इस्सर "वत्स"
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