Posts

Showing posts from October, 2021

हिंदी ग़ज़ल (अपने मन को शांति का सौगात दिया करो)

अपने मन को शांति का सौगात दिया करो अपने से भी आप थोड़ी बात किया करो अंधेरी रातें यहां की घोर डरावनी चलते हो तो एक साथी साथ लिया करो वो जो तेरी बात सुनकर लोग चले गए बिन बोले कह जो गए जज़्बात पिया करो आना जाना जिंदगी का खेल बहुत हुआ इस खेले के राज़ को ना कात किया करो आते हो हर रोज यूँ मिलके व चले गए फुर्सत में आ साथ मिलकर रात किया करो बातें जाके बेझिझक कह वत्स डरो नहीं इश्क ख़ुदा का नूर तुँ मुलाकात किया करो              --विजय इस्सर "वत्स"

गीत-दुर्गा काली आ सरस्वती

          ⬅️[{गीत}]➡️ झूमि ली गाबि ली नाचि ली ने कने ****************************** झूमि ली गाबि ली नाचि ली ने कने काल्हि के की पता जीवि ली ने कने के जनै छै समय संग देतै ककर आई हम्मर छै काल्हि हेतै ओकर तेँ समय के मजा लूटि ली ने कने काल्हि के की पता जीवि ली ने कने---- के कहै छैक की कान के मूनि ली मोन माने जेना चालि अप्पन चली प्रेम भावक वचन सूनि ली ने कने काल्हि के की पता जीवि ली ने कने--- सुख दु:ख सँ सजल ई संसार छै जिनगीक धार के ई  दुनू पार छै विजय वत्स कहल गाबि ली ने कने काल्हि के की पता जीवि ली ने कने---             —विजय इस्सर "वत्स"

गीत-झूमि ली नाचि ली

          ⬅️[{गीत}]➡️ झूमि ली गाबि ली नाचि ली ने कने ****************************** झूमि ली गाबि ली नाचि ली ने कने काल्हि के की पता जीवि ली ने कने के जनै छै समय संग देतै ककर आई हम्मर छै काल्हि हेतै ओकर तेँ समय के मजा लूटि ली ने कने काल्हि के की पता जीवि ली ने कने---- के कहै छैक की कान के मूनि ली मोन माने जेना चालि अप्पन चली प्रेम भावक वचन सूनि ली ने कने काल्हि के की पता जीवि ली ने कने--- सुख दु:ख सँ सजल ई संसार छै जिनगीक धार के ई  दुनू पार छै विजय वत्स कहल गाबि ली ने कने काल्हि के की पता जीवि ली ने कने---             —विजय इस्सर "वत्स"